China-Pak's nefarious act, opposition's words should not spoil in India

चीन-पाक की हरकत नापाक, भारत में नहीं बिगडऩे चाहिए विपक्ष के बोल

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China-Pak's nefarious act, opposition's words should not spoil in India

China-Pak's nefarious act, opposition's words should not spoil in India : चीन और पाकिस्तान (China and Pakistan) की ओर से जैसी हरकतें बीते कुछ दिनों के बाद भारत के प्रति हुई हैं, वे शर्मनाक और उनकी असलियत सामने लाने के लिए काफी हैं। हालांकि इसी दौरान कांग्रेस नेताओं के बयान भी कम चिंता का विषय नहीं है। राजनीति में विरोध जायज (Protest is justified in politics) है, लेकिन सवाल यही है कि आखिर इस विरोध की बुनियाद क्या है? निजी रंजिश या फिर व्यापक देशहित। चीन सैनिकों की तवांग में घुसपैठ (Tawang intrusion) और भारतीय सैनिकों की ओर से बेहद साहसिक अंदाज में उनका डटकर मुकाबला करते हुए मार-मार कर उनकी सीमा में खदेडऩे के बावजूद अगर कांग्रेस नेता राहुल गांधी यह कहते हैं कि भारतीय सेना पिट रही है, तो इसे बेहद शर्मनाक और भारतीय सेना का मनोबल कम करने वाला बयान ही कहा जाना चाहिए। हालांकि संभव है, न देश उनके बयान को गंभीरता से लेता है और न ही सेना लेगी। राहुल गांधी अनेक अवसरों पर ऐसे हल्के बयानों और गतिविधियों को अंजाम दे चुके हैं, जिसका फायदा चीन और पाकिस्तान अपने लिए करते हैं। कश्मीर के संबंध में राहुल के बयान को पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में इस्तेमाल किया था।

चीन के साथ जो घटनाक्रम घटा है, वह उसकी विस्तारवादी नीति का जीता-जागता उदाहरण है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार (communist government of china) अपनी परेशानियों से हलकान है और जनता का ध्यान भटकाने के लिए ऐसी ऊल-जलूल हरकतें कर रही है, लेकिन भारत अब 1962 वाला देश नहीं है, जोकि चीन की कुत्सित सोच और उसके नापाक इरादों को भांप नहीं सकेगा। भारत की सेना अब हिमालय जैसी दृढ़ता और प्रखरता रखती है, उसके पीछे एक सुस्पष्ट नेतृत्व है। यही वजह है कि चीनी सैनिक अब डंडों से ही मार खाकर वापस भाग रहे हैं। जाहिर है, भारतीय सैनिकों में गलवान (Galwan) में हुए संघर्ष का भी रोष था। गलवान में घटी घटना और उसके बाद अब तवांग में हुई घटना के बाद विपक्ष विशेषकर कांग्रेस की ओर से जैसे बयान सामने आ रहे हैं, वे चीन का विरोध करते नजर नहीं आते अपितु अपने ही देश की सरकार और सेना का विरोध करते दिखते हैं। आखिर एक राजनेता की भाषा सेना के प्रति कैसे इतनी निष्ठुर हो सकती है। यह सेना ही है, जिसके बल पर भारत में हम सुखद सांस ले पा रहे हैं, वरना चीन और पाक जैसे नापाक देश न जाने कितनी बार भारत का गौरव और उसकी संप्रभुता क्षीण कर चुके होते। ऐसे में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और कांग्रेस नेताओं को यह समझना चाहिए कि वे सरकार का विरोध करें लेकिन उनके बयान विरोधी देशों की बोली के साथ मैच न करते दिखें।

इसी बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो (Bilaval Bhutto) की वह बेहुदा और अपरिपक्व टिप्पणी भी सामने आ रही है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के संबंध में गुजरात दंगों को लेकर बात कही है। पाकिस्तान के मंत्री ने ऐसी भाषा का प्रयोग तब किया है, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवाद (Terrorism) के मुद्दे पर पाक का सच पूरी दुनिया के सामने एकबार फिर उजागर किया गया है। अपने सच को स्वीकार करने के बजाय पाक के मंत्री अब खुद को सही ठहराने और तथ्यों के बजाय ऐसे ऊल-जलूल बयान देकर अपनी ही औकात साबित करने मेंं लगे हैं। पूरी दुनिया में पाकिस्तान की छवि एक बिगड़ैल देश की है, जहां हमेशा अशांति और अव्यवस्था रहती है। जहां आतंकवादी पनाह लेते हैं, गैंगस्टर पनपते हैं, जोकि अवैध धंधों की खान हो गया है और धर्मनिरपेक्षता (Secularism) की हमेशा धज्जियां उड़ती रहती हैं। जिस देश में गैर मुस्लिम अपने मान-सम्मान और स्वतंत्रता को खतरे में पाते हों, जहां संविधान नामक कोई विषय नहीं दिखता हो, जिस देश का प्रधानमंत्री कर्ज लेने के लिए दूसरे देशों में फिरता हो, क्या उसकी बातों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। अब पाक की एक महिला मंत्री का बयान आया है, जिसमें उन्होंने परमाणु बम की धमकी दी है। पाकिस्तान के हाल, कंगाल के हैं, लेकिन उसके मंत्री झूठी शान के लिए किस हद तक थोथे बयान दे रहे हैं, यह उसकी जनता को समझना चाहिए।

जाहिर है, इन परिस्थितियों में पाकिस्तान (Pakistan) के साथ भारत के रिश्ते कभी सामान्य नहीं हो सकते। हालांकि यह भी सच है कि पाकिस्तान और चीन का सच और बेहतर तरीके से सामने आ चुका है। भारत में आरोप लगाया जाता है कि साल 2014 के बाद भारतीय विदेश नीति बदल चुकी है और हम अपने पड़ोसियों को नाराज कर रहे हैं। घाटी के विपक्षी नेता यही राग अलापते रहते हैं, लेकिन ऐसा वे इसलिए करते हैं, क्योंकि वे मौजूदा सरकार के समय में आए इस क्रांतिकारी बदलाव  (revolutionary change) की अच्छाई को स्वीकार नहीं कर पा रहे। एक कमजोर मनोबल का देश जोकि हर किसी से मजबूरी की दोस्ती करता फिरता हो चाहिए या फिर एक दबंग और प्रखर देश चाहिए जिससे हर कोई दोस्ती करना चाहे। विपक्ष को इस विकल्प में से किसी को चुनना चाहिए। पंचशील सिद्धांत (Panchsheel principle) भारत ने ही दिया था लेकिन उस सिद्धांत की चीन ने धज्जियां उड़ा दी थी, ऐसे देशों को जो भाषा समझ में आती है, उसी में उन्हें जवाब दिए जाने की आवश्यकता है। मौजूदा समय में विदेश मंत्रालय ने जिस प्रकार से काम किया है, वह भारत के भविष्य के लिए उपयुक्त है। अब के हालात ऐसे हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति अपने भारतीय समकक्ष के इंतजार में खड़े होते हैं। वहीं विदेश मंत्री आंखों में आंखें डालकर अमेरिका को खरी-खरी सुनाते हैं।

देश के संदर्भ में राजनीतिक स्वार्थ (Political Interest) को नहीं देखा जाना चाहिए। यह आंतरिक राजनीति में निभ जाने वाली बातें हैं कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमले करें, हालांकि जब पाकिस्तान (Pakistan) और चीन का मामला सामने आए तो उन्हें देशहित में ही बात करनी चाहिए। देश की जनता बखूबी समझती है कि ऐसी टिप्पणियों से किसे फायदा और किसे नुकसान हो रहा है। चीन और पाक आखिर इस पर खुशी क्यों जताते हैं, जब भारत में कांग्रेस (Congress) को जीत हासिल होती है। कांग्रेस नेताओं को इस पर विचार करना होगा। पार्टी के नेताओं का शहादत का इतिहास है लेकिन वह शहादत उन्होंने देश के लिए दी है, देश से बड़ा कौन हो सकता है। 

 

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